वक्त तुम्हारी फुर्क़त में जो गुज़र रहा है, ये वक्त नहीं है, वो तो जमा पड़ा है उस कयामत के मंज़र में, अब तो बस इंतजार है काश कोई आए … और पिघला दे अपनी सरग़ोशियों से वो मंज़र ताकि वक्त फिर से बहने लगे । Share this: Click to share on X (Opens in new window) X Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook Like Loading...