Culaccino

Culaccino (pronounced as koo-la-chino) is an Italian word which means a mark left on a surface by the bottom of a vessel. वो चाँद मेरा चाँद ले गयानूर-ए-आसमान साथ ले गया सितारे ढूँढते हैं बंद कमरे मेंनीला सायबान साथ ले गया होठों के रेहल पे रख जो बोसे पढ़ते थेवो आयतें वो क़ुरान साथ ले…Read more Culaccino

पतझड़

गुज़िश्ता शाम सड़क पेचिनार के पेड़ से मुलाक़ात हुईज़रा जल्दी में था वोकपड़े थोड़े ज़र्द थोड़े सुर्ख़ थेकुछ बदन पे कुछ जमीं पे बिखरे थेकहा उसनेआने वाले रुत की अगुआई करनी हैसो नये कपड़े सिलवाएगागुलाबी बूटों वाली कमीज़और सब्ज़ पत्तों की चमकीली अचकनकहता हुआ वो आगे बढ़ गयाऔर मैं ठहरा रह गयायाद-ए-माज़ी के उसी रास्ते…Read more पतझड़

Sunday blues

जाने क्या ढूँढते हैंबारहा मोबाईल देखते हैंवो जो ना आने वाले हैंहम उनकी राह तकते हैंउम्मीद उँगलियों की आदत हैये आदत कैसे भुलाते हैंहफ़्ता तो बीत जाता है परतुम बिन इतवार बहुत सताते हैंजो तुम कहती थीकुछ मेरी तारीफ़ करोबड़े दिनों से लिखा नहींकुछ नज़्में ग़ज़लें तामीर करोइन्कार इज़हार के ख़फ़ा होने मान जाने केसिलसिले…Read more Sunday blues

ज़ूनी

तुम जा छुपे कहीं हमसफ़रनहीं मिल रहा मेरा रहगुज़रहैं भटक रहे हम इधर उधरमेरा चाँद गुम है जाने किधरतन्हा अकेले अब लगता है डरसफ़र नहीं है ये इक सिफ़र ना है खुशबू हर तरफ है ग़मख़ामोशियाँ कर रहीं सितमनहीं लग रहा कहीं भी मनतेरी यादें बन गयी ज़ख्मभूलें तो कैसे इन्हें जानमइन ज़ख्मों के ये…Read more ज़ूनी

घर की दिवाली

लाखों झमकें खिड़की के बाहर जगमगाती थीं अदा ये शोख़ दिवाली की हमें खूब भाती थी बीड़ी बम, अनार, रस्सी, रॉकेट, चटाई शकरपारे, लड्डु, चमचम, बर्फी मिठाई कितने उमंग कितने उल्लास से घर सजाते थे पटाखों को दो दिन पहले धूप में सुखाते थे दीदी के साथ थर्मोकोल के सुंदर घरौंदे बनाना लई और तीसी…Read more घर की दिवाली

तब और अब

थोड़ी सी सुधरी हो या अब भी वैसी बिगड़ी हो क्या नाक पे गुस्सा मुँह पे गाली अंदाज़ पुराना वो ही है ? पनघट पे अल्हड़ पनिहारिन सी क्या आज भी वैसे मटकती हो क्या गोल घड़े सा बदन तुम्हारा गुदाज पुराना वो ही है ? क्या अब भी खाने के प्लेट से चावल के…Read more तब और अब

मुंतज़िर

चुप सी हैं गुम सी हैं ये बारिशें भी तुम सी हैं कल बरसी थीं ज़ोरों से आज बहुत मासूम सी हैं घटाएँ भूल गईं गरजना झटासें भी कुछ कम सी हैं जो गुज़र रहीं बिन तुम्हारे ये रातें गुमसुम सी हैं रह रह के उठती हैं तेरी यादें तलातुम सी हैं नींद रश्क खा…Read more मुंतज़िर

इश्क़ क्या है

कौन कहता है ज़मीं मिलेगी इश्क़ को कुछ हवा सा रहना भी इश्क़ है ज़रूरी तो नहीं की इज़हार हो बातों का कुछ आँखों से कह देना भी इश्क़ है हाँ बेरंग सी होती हैं सूनी बाँहें मगर उन्हें सोच के सुर्ख़ हो जाना भी इश्क़ है इश्क़ वैसा तो नहीं जो फ़िल्मों में दिखाया…Read more इश्क़ क्या है

आशनाई

सुनो ! मैं तुम्हें पूरा नहीं जानना चाहता डर लगता है कि अगर जान गया तो वो excitement, वो ललक कहीं गुम हो जाएगी कहीं ना कहीं एक novelty factor होना चाहिए जो हमारे रिश्ते का ईंधन हो आज तुम्हें पूरा ढूँढ लिया तो कल क्या खोजूँगा बताओ ! मैं नहीं जानता तुम्हारे काजल के…Read more आशनाई

समंदर

वो कहती है, उसे समंदर बहुत पसंद है कभी तूफ़ानी कभी सुकूनी कई राज़ छिपे हैं इसमें लहरें आकर चली तो जाती हैं पर छोड़ जाती हैं एक नमी मानो किसी सुहाने सपनों के बाद चेहरे पे एक गीली मुस्कान जितना भी देखो इसे जी ही नहीं भरता और तिलिस्म खुलते जाते हैं सुनो जानां,…Read more समंदर